नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 – कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में हाहाकार मच हुआ है। इस महामारी से अब तक 7000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करीब पौने दो लाख लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। खतरे को भांपते हुए भारत सरकार और राज्य सरकारों ने कई उचित कदम उठाये है। जिसमें स्कूल-कॉलेज, जिम, थियेटर्स आदि भीड़ भाड़ वाले जगहों को बंद कर दिया है। कोरोना से बचने के लिए सभी सावधानी बरत रहे है।
दुनिया के कई देश इस महामारी के लिए दवाई बनाने में लगे हुए हैं। ऐसे में भारत ने इस कोरोना वायरस को लेकर बड़ी सफलता हासिल की है। जानकारी के
मुताबिक, भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस के स्ट्रेन्स (अलग-अलग रूप) को अलग कर लिया है जिससे कोरोना वायरस को लेकर दवाई और टीके बनाने में मदद मिलेगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक कई वैज्ञानिक काफी समय से कोरोना वायरस पर काम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के स्ट्रेन को अलग करने में कामयाबी पाई है।
जानकारों की मानें तो कोरोना वायरस के स्ट्रेन्स को अलग करने से वायरस की जांच के लिए किट बनाने में भी काफी मदद मिलेगी। यही नहीं इससे किट बनाने, दवा का पता लगाने और टीके का शोध करने में काफी मदद मिल सकेगी। कोरोना को लेकर अभी तक कुल चार देशों को ये कामयाबी मिली है। जिनमें अमेरिका, जापान, थाईलैंड और चीन आदि शामिल हैं। जानकर बताते है कि कोरोना वायरस को लेकर भारत ने अभी पहला चरण पार कर किया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, आगरा के 6 मरीज और इटली के कुछ नागरिकों से मिले वायरस को वैज्ञानिक प्रक्रिया के जरिए वायरस के स्ट्रेन को अलग (आइसोलेट) किया गया था। इसके बाद, उस स्ट्रेन को वुहान कोरोना वायरस के स्ट्रेन से मिलाया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि इन दोनों वायरसों के स्ट्रेन के बीच 99.98% की समानता है। वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम का कहना है कि किसी बीमारी की खत्म करने या रोकने के लिए उसकी पहचान करना जरूरी है। ये एक तरह से यह पहला चरण कहलाता है। इसके बाद टीके और उपचार आदि के लिए काम किया जाता है। इस तरह से वायरस के स्ट्रेन को अलग करने वाला भारत दुनिया का पांचवां देश बन गया है।
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