नई दिल्ली, 17 मार्च – एन पी न्यूज 24 – देश में कोरोना वायरस के अब तक 117 पॉजिटिव मामले सामने आ चुके है। अगर आपको कोरोना वायरस से संक्रमित होने का शक है और आप दिल्ली के किसी सरकारी हॉस्पिटल में इलाज के लिए जाते है तो आपको कोई फायदा नहीं होगा। दिल्ली सरकार के हेल्थ सचिव की सहायक डॉक्टर ऋतु कहती है कि आपको सबसे पहले कोरोना वायरस के लिए स्थापित हेल्पलाइन को फ़ोन करना होगा। उन्होंने कहा कि अगर आपको कोरोना वायरस होने का संदेह है तो आप हॉस्पिटल जाने के बजाय हेल्पलाइन पर फ़ोन करे. हेल्पलाइन पर आपसे कई सवाल किये जाएंगे। आपसे पूछा जाएगा कि हाल की में विदेश से लौटे किसी व्यक्ति के संपर्क में रहे है ? इस बीमारी से पीड़ित किसी व्यक्ति से मिले थे ? अगर आपका जवाब हां है तो हॉस्पिटल भेजकर आपका टेस्ट करवाया जाएगा। कोरोना वायरस को लेकर इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइन्स के अनुसार काम कर रही है। इसमें कहा गया है कि बीमारी मुख्य रूप से प्रभावित देशो की यात्रा करने वाले लोगों या पॉजिटिव मामलो के संपर्क में आने से होता है। इसलिए हर व्यक्ति का टेस्ट करने की जरुरत नहीं है।
टेस्ट भी कम हो रहे है
कोरोना वायरस के लिए हेल्पलाइन नंबर 011-23978046 जारी किया गया है। हर राज्य में अलग अलग हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। हाल ही में दिल्ली के महारानी बाग़ की एक महिला स्वाति का टेस्ट नहीं किया गया. उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया गया कि वह विदेश की यात्रा करके नहीं लौटी है। खांसी-बुखार होने से जरुरी नहीं है कि कोरोना वायरस ही हो.
टेस्ट का तरीका
इस संबंध में डॉक्टर के के अग्रवाल ने कहा कि ये तरीका रेस्ट्रक्टिव है. दक्षिण कोरिया, हांगकांग और सिंगापूर में लिबरल तरीका अपनाया गया है। यहाँ कोरोना वायरस के लक्षण वाले हर आदमी का सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल में टेस्ट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि कम करके बताने का मतलब यह नहीं कि मामले 100 तो आप 60 की जानकारी दे रहे है। यहां टेस्ट भी कम कराये जा रहे है जिससे कम मामले सामने आ रहे है. उनका अनुमान है कि भारत दक्षिण कोरिया की तरह काम करे तो मामलो की संख्या 5 हज़ार तक पहुंच सकती है। अधिक मामले सामने आने से कोई दिक्कत नहीं है.
दक्षिण कोरिया में हर 50 लाख की आबादी पर 3692 लोगो का टेस्ट किया जा रहा है। इटली में हर 10 लाख की आबादी पर 826 लोगों का टेस्ट किया जा रहा है। लेकिन भारत में इस तरह से जांच नहीं की जा रही है। टेस्ट किट की संख्या आबादी के हिसाब से कम है। पुरे भारत में इस बीमारी से अब तक दो लोगों की मौत हुई है। लेकिन दुनिया भर में इस बीमारी से अब तक 7000 लोगों की मौत हो चुकी है।
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