कोरोना को हराएगा कर्नाटक का 123 साल पुराना क़ानून  

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बंगलुरु. एन पी न्यूज 24- हाल में मेंगलुरु हवाई अड्डे पर जब कोरोना वायरस संक्रमण के लिए जाँच हो रही थी उस वक़्त दुबई से आ रहे एक यात्री को मामूली बुख़ार था. इस यात्री को तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाया गया ताकि आगे की विस्तृत जाँच के लिए उनके नमूने लिए जा सकें, लेकिन ये यात्री अस्पताल से भाग गए. बाद में सुरक्षाबलों के एक दस्ते ने इन्हें  खोज निकाला. ये अपने घर पर थे. इन्हें अस्पताल ले जाया गया और जाँच में इनमें कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई जिसके बाद उन्हें घर पर ही क्वारंटाइन किया गया. इसे ध्यान में रखते हुए कर्नाटक में महामारी रोग क़ानून 1897  का इस्तेमाल किया जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने  बताया, “भविष्य में मेंगलुरु जैसी घटनाएं न हों इसीलिए हमने यह अधिसूचना जारी की है.” इसके तहत, कर्नाटक में किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस संक्रमण का संदिग्ध पाए जाने पर उन्हें कम से कम 14 दिनों के लिए घर पर ही क्वारंटाइन करने का आदेश है. आम तौर पर कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति में इसके लक्षण 10 दिन से 14 दिनों के भीतर दिखते हैं. महामारी रोग क़ानून के तहत जारी अधिसूचना के अनुसार, इस क़ानून का उल्लंघन करने वाले पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत मुक़दमा चलाया जा सकता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 188 कहती है कि जो कोई जान बूझकर इंसान के जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षा को क्षति पहुंचाता है, उसे अधिकतम छह महीने की जेल की सज़ा या/और 1,000 रूपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.
यह है अधिकार :  आदेश में कहा गया है, “यदि कोई संदिग्ध व्यक्ति अस्पताल जाने से इनकार करते हैं या सभी से अलग रहने से इनकार करते हैं तो महामारी रोग क़ानून की धारा तीन के तहत अधिकारी व्यक्ति को जबरन अस्पताल में भर्ती करा सकते हैं, उन्हें 14 दिनों के लिए या फिर उनकी जाँच रिपोर्ट नॉर्मल आने तक दूसरों से अलग रहने के लिए बाध्य कर सकते हैं.

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