पांच लाख फर्जी डिग्रियां बांट कर अरबों डकारने वालों में से एक और पकड़ा गया  

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सोलन. एन पी न्यूज 24 – फर्जी डिग्री मामले में पुलिस ने मानव भारती विश्वविद्यालय के एक और कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान प्रमोद निवासी करनाल के रूप में हुई है। आरोपी को हरियाणा से गिरफ्तार किया गया है। अब तक पांच लाख फर्जी डिग्रियां बांटने का खुलासा हुआ है। विश्वविद्यालय ने अरबों रुपये का गड़बड़झाला किया है। विवि के मालिक फरार चल रहे हैं। मामले की जांच के लिए एसपी की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया गया है। पुलिस ने विवि के सोलन कैंपस से अभी तक डिग्रियां, हाजिरी रजिस्टर, फीस भुगतान संबंधित दस्तावेज, बिना चेक की उत्तर पुस्तिकाएं कब्जे में ली हैं। मानव भारती विश्वविद्यालय के मालिक राजकुमार राणा के द्वारा राजस्थान के आबू रोड माउंट आबू में खोले गए माधव विश्वविद्यालय का रिकॉर्ड भी कब्जे में लिया जा रहा है।
इस बीच, विधानसभा बजट सत्र के दौरान बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन को सरकार की तरफ से अब तक की गई कार्रवाई से अवगत करवाया. आशुतोष निवासी बडाहला जिला ऊना ने पुलिस को दी शिकायत में बताया है कि इंडस विश्वविद्यालय बाथू ने तीन लड़कियों को विवि में नौकरी दी. नौकरी में हाजिरी लगाकर उन्हें नियमित छात्राओं के रूप में दाखिल दिखाकर डिग्री प्रदान की गई. इन डिग्रियों के आधार पर की गई नौकरी का अनुभव प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया. थाना हरोली में धारा 420, 468, 471 और 120बी आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. ममता निवासी चरखी दादरी, हरियाणा ने थाना धर्मपुर सोलन में केस दर्ज कराया है। ममता ने बताया कि मानव भारती विश्वविद्यालय ने मनोविज्ञान में पीजी डिग्री में दाखिला लेने के बावजूद उसे फर्जी डिग्री प्रदान की है।
बता दें कि   यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के पत्र में इसका खुलासा हुआ था। यूजीसी की ओर से जारी पत्र में देश भर की जिन विश्वविद्यालयों के नाम हैं, उनमें  दो हिमाचल से हैं. चिठ्ठी में कुल देश की 13 यूनिवर्सिटीज के नाम हैं चिठ्ठी में तल्ख शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा गया है कि एक-एक डिग्री के लिए मोटी रकम ली जाती है. फर्जी डिग्री बनाने और बेचने लिए फूलप्रुफ सिस्टम बनाया गया है. बाकायदा, देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐजेंट बिठाए गए हैं. डिग्री ‘बेचने’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए लिखा है कि अगर यह व्यापार ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन हर भारतीय अकादमिक अनपढ़ बन जाएगा. चिठ्टी में आगे लिखा है कि हमें खुशी हो रही है कि डिग्रियां बेचने वाली उन यूनिवर्सिटीज के नाम बता रहे हैं, जिन्होनें पिछले 12 सालों में हजारों-हजार डिग्रियां बेची हैं.

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