नई दिल्ली. एन पी न्यूज 24 – वैश्विक बाजार में भारतीय करंसी रुपये की हालत खराब हो गई हैं। यह स्थिति वैश्विक मंदी और कोरोना के असर के चलते आई है ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में रुपये को सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई करंसी करार दिया है।दो बाजार पर एक साथ दोहरी मार है। एक तो रुपये का मूल्य गिर रहा है, इससेदेशों से आने वाले सामानों के लिए ज्यादा दाम चुकाने होंगे। अगर यही हालत बनी रही तो आने वाले समय में हमारी जेबों पर जबरदस्त दबाव पड़ने वाला है। एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है। इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है। पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है और इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है। फिलहाल, घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट रही है। हालांकि, विदेशी बाजारों में अमेरिकन करंसी में कमजोरी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से रुपये में हल्का सपोर्ट देखने को मिला, लेकिन ट्रेडर्स का मानना है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का डर भारतीय रुपये की हालत और भी पस्त कर सकता है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रुपये पर लगाम लगाने के लिए बाजार में उपलब्धता को टाइट करने का फैसला देश के कुछ बड़े उधारकर्ताओं के मुनाफे पर असर डालेगा। इस साल भारतीय रुपया एशियाई बाजार में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करंसी बन गई है।