लखनऊ-.एन पी न्यूज 24-
19 दिसंबर को सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान लखनऊ के चार थाना क्षेत्रों में हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान ठाकुरगंज, हज़रतगंज, क़ैसरबाग़ और हसनगंज इलाक़े में कई निजी वाहनों समेत पुलिस चौकी और पुलिस के वाहनों को भी आग लगा दी गई थी.राज्य सरकार ने नुक़सान की भरपाई के लिए वीडियो फ़ुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर 150 से ज़्यादा लोगों को नोटिस जारी किया था जिनमें फ़िलहाल 57 को इसके लिए दोषी पाया गया है.
सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से आदेश
बताया जा रहा है कि वसूली के नोटिस अचानक सार्वजनिक तौर पर बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स के ज़रिए टांगे जाने का आदेश सीधे तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय से आया है. इस बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय के किसी अधिकारी ने आधिकारिक रूप से तो कुछ भी बताने से साफ़ इनकार कर दिया लेकिन नाम न छापने की शर्त पर कुछ आला अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है
यह है आरोप
इन प्रदर्शनकारियों पर आरोप है कि उन्होंने हिंसा की थी और संपत्ति को नुक़सान पहुँचाया था.प्रदर्शनकारियों से संपत्ति के नुक़सान की भरपाई का मामला भले ही अदालत में विचाराधीन है लेकिन वसूली के नोटिस लगातार दिए जा रहे हैं. लखनऊ में तो अब ऐसे प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें उनके नाम और पता सहित चौराहों पर टांग दी गई हैं. इन होर्डिंग्स में इन लोगों से सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने के लिए हर्जाना भरने को कहा गया है. यह भी लिखा गया है कि अगर ये लोग हर्जाना नहीं देते हैं तो इनकी सपंत्ति ज़ब्त कर ली जाएगी. सभी को नोटिस जारी होने की तिथि से 30 दिन का समय दिया गया है. अगर निर्धारित समय के भीतर यह राशि जमा नहीं कराई जाती है तो फिर इनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी.” जिन लोगों की तस्वीरें होर्डिंग्स में लगी हैं उनमें कांग्रेस नेता और सोशल वर्कर सदफ़ जाफ़र, वकील मोहम्मद शोएब, थियेटर कलाकार दीपक कबीर और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी भी शामिल हैं.