ताकत देने वाला हिमालयन वियाग्रा’  खुद संकट में

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एन पी न्यूज 24 – दुनिया के कई देशों में हिमालयन वियाग्रा के नाम से मशहूर कीड़ाजड़ी के अस्तित्व पर संकट गहराने लगा है।इसे निकालने के कारोबार में लगे ग्रामीण बताते हैं कि इसकी उपलब्धता में पिछले 10 सालों में 20% से 25% की कमी आई है।

सेक्सवर्द्धक माना जाता है इसे
बता दें कि सेक्सवर्धक होने के साथ-साथ ट्यूमर, टीबी, कैंसर और हेपेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियों का इसे रामबाण इलाज माना जाता है।

कीमत 10 लाख रुपए प्रति किलो
साल 2003 तक करीब 20,000 रुपए प्रति किलो में मिलने वाली कीड़ाजड़ी की कीमत आज 7 से 10 लाख रुपए प्रति किलो पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कारोबारियों को इसकी कीमत 40 से 50 लाख रुपए प्रति किलो तक मिल जाती है।

कागजों पर रिकार्ड नहीं
कीड़ाजड़ी निकालने का कारोबार ऐसा है कि कागजों पर इसका रिकॉर्ड बहुत सीमित है और ज्यादातर ‘माल’ गैरकानूनी तरीके से तस्करी के जरिए देश के बाहर भेज दिया जाता है। पिछले कुछ वक्त में इस बूटी के अतिदोहन की वजह से अब हिमालयी क्षेत्र में यह गायब होती जा रही है।

यहां है यह इलाका
उत्तराखंड के धारचूला से करीब 40 किलोमीटर दूर है छिपला केदार का इलाका। यहां कोई 2,000 मीटर की ऊंचाई पर बसे एक दर्जन गांवों के 700 से अधिक लोग हर साल ऊंचे पहाड़ी बुग्यालों पर एक बूटी की तलाश में जाते हैं। यह है यारसा गुम्बा (तिब्बत में यारसा गुन्बू) नाम की हिमालयी बूटी जिसे स्थानीय भाषा में कीड़ाजड़ी भी कहा जाता है। हालांकि इस बूटी को लेकर किए जा रहे सभी दावों की जांच नहीं हुई है और उन पर वैज्ञानिक शोध चल ही रहा है। फिर भी इस बूटी ने दुनियाभर में करीब 1,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी कोई 70,000 करोड़ रुपए का सालाना बाजार खड़ा कर लिया है।

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