Shikara Review:  प्रेम कहानी के जरिए कश्मीरी पंडितों का दर्द देख आँखे हो जाएंगी ‘नम’

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मुंबई : एन पी न्यूज 24 –  कश्मीरी पंडितों ने सालों पहले जम्मू-कश्मीर में क्या-क्या दर्द झेले थे, उनको लेकर डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा द्वारा बनाई गई फिल्म ‘शिकारा’ आज रिलीज हो गई है. इस फिल्म में कश्मीरी पंडितों के दर्द को देखकर आँखे नम हो जाती हैं. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इस फिल्म को कश्मीरी पंडितों की दर्द की स्याही से लिखा गया हैं. इस फिल्म को दर्शकों और क्रिटिक्स दोनों का ही प्यार मिल रहा है.

डायरेक्टर ने शिकारा के मुख्य किरदार एक्टर आदिल खान (शिव) और सादिया (शांति) की लव स्टोरी  के जरिए कश्मीरी पंडितों के दर्द को बयां करने की कोशिश की है, जिसमें वह काफी हद तक सफल हुए हैं. दोनों ही एक्टर्स की यह डेब्यू फिल्म हैं और दोनों ने ही बड़े अच्छे से अपने किरदारों को निभाया है. इस फिल्म में बताया गया है कि किस तरह 80s के आखिरी में घाटी में धीरे-धीरे सांप्रदायिक तनाव बढ़ा. इस बीच शिव और शांति को कैसे अपने सपनों का घर छोड़कर दर-दर भटकर, रिफ्यूजी कैंप में बसर करना पड़ा.

शिव जो कि एक टीचर की भूमिका है, वह अपने किरदार के जरिए अपने आसपास होती चीजों को देख सहम जाना, उनके आंसू, उनकी खुशी और शांति के उनका प्यार आपके दिल को छू जाता है. सादिया (शांति) का किरदार भी कहानी में जान डाल देता है. वह हंसकर सभी दुखों को लांघते हुए आगे बढ़ती जाती है.

वहीं फिल्म में प्रियांशु चटर्जी संग अन्य सपोर्टिंग एक्टर्स ने भी अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है.

विधु ने रोमांस के साथ दर्शकों को कश्मीर का वह भयावह चेहरा भी दिखाया है, जो हमने सिर्फ खबरों में ही सुना है.  शिकारा देश में फैले उन 4 लाख कश्मीरी पंडितों की दर्दनाक कहानी बयां करती है, जो अपने वतन में ही गैरों की तरह रह रहे हैं.

म्यूजिक की बात करें तो ए. आर. रहमान और कुतुब-ए-कृपा का कंपोज किया बैकग्राउंड स्कोर दर्शकों को बेहद पसंद आया है. फिल्म के गानों को इरशाद कामिल ने लिखा है. जबकि सिंगर पापोन की आवाज में ‘ऐ वादी शहजादी’ सुनकर दिल पसीज जाता है और आंखे नम हो जाती हैं.

अंत में बस इतना कहना चाहेंगे कि यह फिल्म इमोशंस, रोमांस और कश्मीरी पंडितों के दर्द से भरी हुई है. आप जरुर इस फिल्म को जाकर देख सकते हैं.

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