तो उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा !

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मुंबई : एन पी न्यूज 24 – भीमा कोरेगांव मामले को लेकर महाविकास आघाड़ी की दो पार्टियां आमने-सामने नजर आ रही है. शरद पवार ने आरोप लगाया है कि भीमा कोरेगांव  मामले में तत्कालीन सरकार द्वारा पुलिस की मदद से षड़यंत्र किया गया. उन्होंने मुख्यमंत्री से एटीएस के जरिये इस मामले की जांच कराने की मांग की. जबकि राज्य के पूर्व गृहमंत्री और शिवसेना नेता दीपक केसरकर अपना रूख साफ करते हुए कहा कि मामले से जुड़े सबूतों को लेकर पुलिस पुख्ता होने के बाद दर्ज किया गया था. इसे कोर्ट ने भी माना है. ऐसे में महाविकास आघाड़ी सरकार में राष्ट्रवादी और शिवसेना में भीमा कोरेगांव के मामले को लेकर आमने-सामने हो गए है.

भीमा कोरेगांव मामले में परस्पर विरोधी रूख रखने वाले शिवसेना-राष्ट्रवादी पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा है कि शरद पवार को राज्य की पुलिस पर संदेह है क्या? तत्कालीन गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर के काम पर शक है क्या? केसरकर शिवसेना के नेता है, तो इस मामले में शिवसेना दोषी है. इस मामले में अगर शिवसेना दोषी है तो उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहते इसकी जांच कैसे होगी? इसलिए उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा.

क्या कहा था शरद पवार ने अपने पत्र में
शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे गए पत्र में कहा था कि 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में 200वां विजय दिवस मनो के लिए लाखों की संख्या में दलित भाई यहां पहुंचे थे. कुछ सामाज के लिए घाटक प्रवृत्तियों द्वारा इसमें उथल पुथल मचाने का प्रयास किया गया था. इस दंगे से एक दिन पहले शनिवार वाड़ा में हुए एल्गार परिषद में दिए गए जहरीले भाषण को जिम्मेदार माना गया. इस दंगे के पीछे माओवादी संगठन का हाथ होने की बात मानते हुए गिरफ्तारियां शुरू की गई. माओवादियों से संबंध रखने के शक में प्रसिद्ध, विद्वान, प्रगतिशील लोगों को गिरफ्तार किया गया. ?

क्या कहा पूर्व गृहराज्यमंत्री ने
दीपक केसरकर ने भीमा कोरेगांव मामले पर बोलते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस ने जांच करके कोर्ट के समक्ष सबूत रखे थे. इन सबूतों की परख  की गई और कोर्ट ने सबूतों को मंजूर किया है. इस मामले में गठित समिति के समक्ष सबूत रखे गए थे. इसलिए मैं इस पर कुछ नहीं बोलूंगा. इस मामले में समिति की रिपोर्ट आने के बाद चीजें साफ होगी.

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