नागरिकता संशोधन कानून की खिलाफत जारी ही

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पुणे : एन पी न्यूज 24 – नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध करने और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शन करने के लिए सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में सैकड़ों छात्रों ने बुधवार को मशाल जुलूस निकाला। पुणे जिले के बारामती से राष्ट्रवादी कांग्रेस की सांसद सुप्रिया सुले ने ‘मशाल मोर्चा’ में हिस्सा लिया। जुलूस के दौरान कुछ छात्रों के हाथों में तख्तियां भी थीं। कॉलेज के छात्रों और विभिन्न युवा संगठनों के सदस्यों ने इस मार्च में भाग लिया।
हाल ही में, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और उसके आस-पास वाले इलाकों में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसके बाद पुलिस ने परिसर के अंदर घुसकर छात्रों पर कार्रवाई की थी।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुले ने रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी के उस तथाकथित बयान का जिक्र किया कि प्रदर्शन के दौरान किसी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर किसी को देखते ही गोली मार देना चाहिए। सुले ने कहा,‘मैं उन्हें चुनौती देना चाहती हूं। हम यहां हैं, हम प्रदर्शन कर रहे हैं और अगर आपमें हिम्मत है, तो हमें गोली मारकर दिखाएं। उन्होंने कहा, मैंने सोचा कि प्रधानमंत्री इस बयान को लेकर मंत्री को बर्खास्त कर देंगे, लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने कुछ नहीं किया। जामिया मिल्लिया में छात्रों पर अत्याचार करने वालों को सजा देनी चाहिए।
असमिया समुदाय का प्रदर्शन
असमिया समुदाय के सदस्यों ने बुधवार को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने दावा किया कि इस अधिनियम ने असम की संस्कृति को खतरे में डाल दिया है। प्रदर्शन कर रहे असमिया लोगों का कहना है कि इस नये कानून से असम की पारंपरिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को नुकसान पहुंचेगा। समुदाय के लगभग 200 सदस्यों ने जेएम रोड स्थित संभाजी गार्डन के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया, प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर छात्र और नौकरीपेशा लोग थे। प्रदर्शनकारियों ने कहा, “यह अधिनियम असम की संस्कृति को सीधे तौर पर खतरे में डालता है। प्रवासियों को बसाने से, चाहे वह किसी भी धर्म के हों, असम के मूल निवासियों की जातीय, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को नुकसान पहुंचेगा।
सोलापुर में निकला मार्च
सोलापुर जिले में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध मार्च निकाला और आरोप लगाया कि यह धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि यह अधिनियम संविधान की मूल रूपरेखा और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है। यह मार्च सोलापुर में जिला अदालत के बाहर से शुरू हुआ और कलेक्टरेट के पास खत्म हुआ जहां प्रदर्शनकारियों ने उप कलेक्टर अजित देशमुख को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें अधिनियम को निरस्त करने की मांग की गई है। शहर के मुख्य काज़ी मुफ्ती सैयद अहमद अली काजी ने दावा किया कि मार्च में करीब 40,000 लोगों ने हिस्सा लिया है। मार्च के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां थामी हुई थी जिस पर ‘सीएए को निरस्त’ करने जैसे संदेश लिखे गए थे।
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