BREAKING NEWS: जामिया और AMU में हुई हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट का न्यायिक जांच से इनकार,  HC में अपील करने का दिया आदेश

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एन पी न्यूज 24 – पिछले कुछ दिनों से नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई राज्य आग में जल रहे हैं. पूर्वोत्तर राज्यों में हुए हिंसक प्रदर्शन की आग अब दिल्ली तक पहुंच गई है. दिल्ली में स्टूडेंट्स द्वारा CAB के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा था, जिसे रोकने के लिए पुलिस ने बर्बरता का मार्ग चुन लिया. वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी की सरकार किसी हालत में नागरिकता संशोधन कानून को अपनाने से इंकार कर दिया है. वहां भी बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसका मामला अब सुप्रीम कोर्ट (SC) तक पहुंच गया है. इस संदर्भ में दायर याचिका पर आज SC ने अपना फैसला सुनाया है. SC ने जामिया और AMU में हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने से इनकार कर दिया गया है.

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता अश्विनी उपाध्याय ने इस संदर्भ में याचिका दाखिल की थीं, जिसमें मांग की गई थी कि मामले की जाँच सीबीआई, एनआईए और कोर्ट से गठित कमेटी द्वारा की जाए. साथ ही याचिका में पश्चिम बंगाल सहित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, एएमयू और उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा की भी जांच कराने की मांग की गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को ख़ारिज कर दिया है.

SC ने कहा है कि …

आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए SC ने जामिया और एएमयू हिंसा से जुड़ी याचिका खारिज कर दी है. साथ ही याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने का दिया आदेश दिया है. SC ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में अपील की जाए. क्योंकि हाईकोर्ट इस पर समिति के गठन करने संबंधी फैसला ले सकता है. कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट ही गिरफ्तारी पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है. कोर्ट ने कहा है कि विभिन्न जगहों पर घटनाएं हुई हैं इसलिए जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता है.

बता दें कि  छात्रों की ओर से वकील इंदिरा जयसिंह सहित दो अन्य वकील पेश हुए थे. उनका कहना है कि बिना वाइस चांसलर की बिना अनुमति के पुलिस कैंपस में नहीं घुस सकती है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि,  सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि पहले शांति सुनिश्चित होनी चाहिए और उसके बाद ही नागरिकता कानून के खिलाफ दक्षिणी दिल्ली के जामिया क्षेत्र में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कथित बर्बरता मामले पर सुनवाई होगी.

साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस. ए. बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि, “हम बस इतना चाहते हैं कि हिंसा बंद हो जानी चाहिए.”

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