पाटणकर से ठाकरे : ऐसा है रश्मि ठाकरे की यात्रा !

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मुंबई : एन पी न्यूज 24 – पिछले 20 दिनों से शिवसेना का सत्ता संघर्ष महाराष्ट्र देख रहा है. मातोश्री से आये आदेश का भी परिणाम महाराष्ट्र देख रहा था. लेकिन मातोश्री से आये हर फरमान के पीछे आवाज किसकी है इसका अंदाजा अब धीरे धीरे लगने लगा हैं.
रश्मि ठाकरे – शिवसेना का महीने भर से चल रहा सत्ता संघर्ष में मां साहेब-2 के रूप में सामने आ रही है. बालासाहेब की पत्नी मीनाताई ठाकरे की पहचान मां साहेब के रूप में शिवसैनिकों के साथ केवल महाराष्ट्र को थी. लेकिन अब मातोश्री में रश्मि ठाकरे के रूप में मां साहेब -2 अवतरित हुई है.
रश्मि ठाकरे उद्धव ठाकरे की अर्धांग्नी, उद्धव ठाकरे की रणनीतिकार, उनका मार्गदर्शक और उनका खास समर्थक के रूप से जाना जाता है. वर्षा बंगले की महत्वकांक्षा को छोड़ दे तो रश्मि ठाकरे ग्राउंड लेवल पर पार्टी की क्या स्थिति है इसका लेखाजोखा रश्मि ठाकरे रखती हैं.
शिवसेना की हर बात शिवसैनिकों तक रश्मि ठाकरे के जरिये मातोश्री तक पहुंचाई जाती है. लेकिन भाजपा से दो-दो हाथ करने और पार्टी की बारीक़ से बारीक़ चीजों पर रश्मि ठाकरे की नज़र रहती है. कोई भी नकारात्मक ऊर्जा उद्धव ठाकरे तक वह नहीं पहुंचने देती है.
बालासाहेब ने उद्धव ठाकरे को अपना उत्तराधिकारी घोषित करे इसके पीछे रश्मि ठाकरे का ही दिमाग बताया जाता है. राज ठाकरे जब शिवसेना छोड़कर गए उद्धव ठाकरे के साथ रश्मि ठाकरे पूरी हिम्मत के साथ खड़ी रही. शिवसेना की महिला आघाडी का नेतृत्व संभालने का अनुभव  रश्मि ठाकरे नीता अंबानी से लेकर ऐश्वर्या राय किसी से भी बेहद सहजता से मिलती है.
संघ का किला माने जाने वालेर डोंबिवली में रश्मि ठाकरे छोटी से बड़ी हुई है. उन्हें गजल गाना पसंद है. बेटे आदित्य ठाकरे और तेजस की हर गतिविधि में वह शामिल होती है. उन्हें प्रोत्साहन देती है.
भाजपा के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया इसमें रश्मि ठाकरे का पुराना अनुभव काम आया. शिवसेना की मुख्य रणनीतिकार होने के बावजूद पर्दे के पीछे रहना रश्मि ठाकरे को पसंद है.
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