मप्र कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सिंधिया की राह में भूरिया बने बाधा

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नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 – मध्य प्रदेश कांग्रेस में राज्य प्रमुख पद के लिए नवनिर्वाचित विधायक और अनुभवी आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया का नाम सामने आने से प्रदेश की राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है। सूत्रों के अनुसार, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पिछले सप्ताह वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मुलाकात कर भूरिया के नाम पर जोर दिया, जिन्होंने हाल ही में झाबुआ विधानसभा उपचुनाव जीता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री भूरिया को दिग्विजय सिंह का करीबी बताया जाता है।

कमलनाथ सरकार में वरिष्ठ मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के अध्यक्ष पद के लिए भूरिया के नाम की खुलेआम वकालत की है।

घटनाक्रम को भांपते हुए कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया से मुलाकात की। बैठक के बाद नए एमपीसीसी प्रमुख की नियुक्ति के संबंध में कोई भी निर्णय अभी के लिए टाल दिया गया है।

सिंधिया ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था, जो कि अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। वह अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश में अधिक समय बिता रहे हैं। गोविंद सिंह राजपूत और उमंग सिंघार जैसे उनके करीबी सहयोगी एमपीसीसी प्रमुख के पद के लिए सिंधिया के नाम का प्रचार कर रहे हैं।

कांग्रेस सिंधिया को पार्टी की महत्वपूर्ण समितियों में शामिल करने की कोशिश कर रही है। उन्हें महाराष्ट्र के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष भी बनाया गया था। पार्टी प्रतिनिधिमंडल में सिंधिया को भी शामिल किया गया है, जो करतारपुर कॉरिडोर का दौरा करने वाला है।

सिंधिया के एक करीबी सहयोगी ने जोर देकर कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के एवज में राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। सिंधिया ने कमलनाथ का डिप्टी बनने से इनकार कर दिया था।

पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, “कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई में घुसपैठ का इतिहास पीढ़ियों पुराना है। दिग्विजय सिंह और सिंधिया के बीच दरार तब शुरू हुई, जब दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के करीबी रहे (दिवंगत) माधवराव सिंधिया ने उस समय दिग्विजय सिंह को खदेड़ने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके थे।”

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