पवार-ठाकरे समेत महाराष्ट्र की राजनीति में अपना खास दबदबा रखते हैं ये 6 परिवार

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मुंबई : एन पी न्यूज 24 – महाराष्ट्र में इन दिनों चुनावी माहौल गरम है। राजनीतिक पार्टियां रैली करने में व्यस्त है। सत्ता दल अपने काम गिनाने में जुट गए है। जबकि विपक्ष सरकार की फ़ैल योजनाओं पर राजनीतिक रोटियां सेंकना शुरू कर दी है। राज्य में विधानसभा चुनाव 21 अक्टूबर को है। फैसला 24 अक्टूबर को आना है। इस बीच महाराष्ट्र के राजनीति पर एक नजर डालते है। मौजूदा समय में कौन सी पार्टी किस स्थिति में नजऱ आ रही है। कितने सीटों पर शिवसेना-भाजपा में बात बन पायेगी। चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार की पार्टी क्या अपने रंग में लौट आएगी।

राज्य की 10 ऐसे राजनीतिक परिवार हैं, जो महाराष्ट्र की राजनीति को अपनी मुट्ठियों में रखते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में लंबे समय से इन्हीं राजनीतिक परिवारों का दबदबा कायम रहा है। बता दें कि महाराष्ट्र के सियासी परिवारों में पवार परिवार की सफलता सबसे ज्यादा  रही है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार खुद चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

पवार परिवार –  
महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार को चाणक्य कहा जाता है। शरद पवार 38 की उम्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए थे। वो चार बार सीएम रह चुके है। कांग्रेस से राजनीतिक पारी शुरू करने वाले शरद पवार ने 1999 में एनसीपी का गठन किया। उनका प्रभाव मराठवाड़ा इलाके के बारामती और ग्रामीण पुणे के आसपास के इलाकों में है। मौजूदा समय में शरद पवार की राजनीतिक विरासत बेटी सुप्रिया सुले और भतीजे अजीत पवार संभाल रहे हैं। सुप्रिया सुले पिछले डेढ़ दशक से बारामती सीट पर सांसद बनी हुई है। अजीत पवार भी महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं और फिलहाल बारामती विधानसभा सीट से विधायक हैं। हालांकि हालही में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया। शरद पवार के पोते और अजित पवार के बेटे पार्थ पवार ने सियासत में कदम रखा, लेकिन जीत नहीं सके।  पवार के एक और पोते रोहित पवार इस बार के चुनाव में किस्मत आजमा रहे है।

ठाकरे परिवार –
महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार का एक अलग ही रुतवा है। बालासाहेब ठाकरे ने 1966 को शिवसेना का गठन किया। एक भी चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार का हमेशा से दबदबा रहा है। शिवसेना का राजनीतिक प्रभाव सबसे ज्यादा कोकंण और मुंबई और आसपास के इलाकों में है।
मौजूदा समय में ठाकरे परिवार की राजनीतिक विरासत उद्धव ठाकरे के हाथों में है। जबकि, भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना से अपना राजनीतिक पारी का आगाज किया, लेकिन बाद में उन्होंने महाराष्ट्र निर्माण सेना (मनसे) के नाम से अलग पार्टी गठन कर ली। राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी सक्रिय राजनीति में है। अब बालासाहेब के पोते आदित्य ठाकरे चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है।

मुंडे परिवार –
महाराष्ट्र में बीजेपी की राजनीति में गोपीनाथ मुंडे का एक अलग दबदबा था। वो महाराष्ट्र के गृह मंत्री और केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री रहे हैं लेकिन 2014 में कार दुर्घटना में उनका निधन हो गया है। मुंडे की राजनीतिक उनकी बेटियों के हाथ में है। बड़ी बेटी पंकजा महाराष्ट्र में कैबिनेट मंत्री हैं और दूसरी बेटी प्रीतम बीड़ से सांसद हैं जबकि भतीजे धनंजय मुंडे एनसीपी से विधान परिषद सदस्य हैं।

चव्हाण परिवार –
महाराष्ट्र की सियासत में चव्हाण परिवार कांग्रेस का बड़ा चेहरा है। पूर्व मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण 1975 और 1986 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहने के साथ केंद्र में वित्त और गृह मंत्रालय जैसे विभाग भी संभाल चुके हैं। मौजूदा समय में उनकी राजनीतिक विरासत अशोक चव्हाण के हाथों में रही है और 2008 से 2010 के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। ‘नांदेड़’ जिले में चव्हाण परिवार की अच्छी खासी राजनीतिक दखल है। अशोक चव्हाण की पत्नी अमिता भी विधायक रह चुकी हैं।

नारायण राणे परिवार –
नारायण राणे का सियासी सफर शिवसेना से शुरू हुआ था। राणे ने 1968 में शिवसेना ज्वाइन कर लिया और 1990 में पहली बार विधायक चुने गए और शिवसेना-बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री भी बने। इसके बाद 2005 में उन्होंने शिवसेना छोड़ कांग्रेस में भी ज्वाइन किये थे। 2017 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बना ली और फिर बीजेपी के समर्थन से राज्यसभा सदस्य हैं।

शिंदे परिवार –
सुशील कुमार शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शिंदे को महाराष्ट्र में कांग्रेस का दलित चेहरा माने जाते हैं और सोलपुर इलाके में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं।

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