चंद्रयान 2 : ऐसा हुआ तो लैंडर विक्रम खुद-ब-खुद खड़े हो जायेगा अपने पैरों पर, जी तोड़ कोशिश कर रहे इसरो वैज्ञानिक

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बैंगलोर : एन पी न्यूज 24 – भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2‘ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ के उतरने की सारी प्रक्रिया सामान्य थी। मगर आखिरी के डेढ़ मिनट ने सबको निराश कर दिया। कल इसरो ने बताया कि ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की लोकेशन का पता लगा लिया है, जिसके बाद से लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की उम्मीद एक बार फिर जगी है। हालांकि लैंडर विक्रम से संपर्क साधना वैज्ञानिकों के लिए आसान नहीं हो रहा है।

ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्बिटर द्वारा थर्मल इमेज से साफ है कि विक्रम लैंडर चांद की सतह पर नियत जगह से करीब 500 मीटर दूर गिरा है। बताया जा रहा है कि अगर इसरो सेंटर से विक्रम लैंडर का संपर्क स्थापित हो गया तो वो अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। मिली जानकारी के मुताबिक, विक्रम लैंडर में कंप्यूटर लगा हुआ है जो कई काम कर सकता है। दरअसल चांद की सतह पर क्रैश लैंडिंग की वजह से उसका एंटीना दब गया जिसकी वजह से संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा है। हालांकि इसरो वैज्ञानिक दिन रात एक कर लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे है। अगर ये सफल रही तो प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से बाहर निकल सकेगा और चांद की सतह की महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकेंगी। इसरो के सूत्रों ने बताया कि विक्रम लैंडर के नीचे की तरफ पांच थ्रस्टर्स लगे हैं। जिसके जरिए इसे चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी। इसके अलावा, विक्रम लैंडर के चारों तरफ भी थ्रस्टर्स लगे हैं, जो अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान उसकी दिशा तय करने के लिए ऑन किए जाते थे। ये थ्रस्टर्स अब भी सुरक्षित हैं।

लैंडर के जिस हिस्से में कम्युनिकेशन एंटीना दबा है, उसी हिस्से में भी थ्रस्टर्स हैं। अगर पृथ्वी पर स्थित ग्राउंड स्टेशन से भेजे गए कमांड को सीधे या ऑर्बिटर के जरिए दबे हुए एंटीना ने रिसीव कर लिया तो उसके थ्रस्टर्स को ऑन किया जा सकता है। थ्रस्टर्स ऑन होने पर विक्रम एक तरफ से वापस उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक उनके पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं क्योंकि अभी लूनर डे चल रहा है। एक लूनर डे धरती के 14 दिनों के बराबर होता है। इसमें से 2 दिन बीत चुके हैं यानी अगले 12 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा। उसके बाद चांद पर रात हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है। रात में उससे संपर्क करने में दिक्कत होगी।

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