नई दिल्ली : एन पी न्यूज 24 – भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2‘ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ के उतरने की सारी प्रक्रिया सामान्य थी। मगर आखिरी के डेढ़ मिनट ने सबको निराश कर दिया। अब इसरो द्वारा एक बड़ी जानकारी दी गयी है। जो पुरे देश वासियों के लिए खुशखबरी है। इसरो ने बताया है कि, चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग करने के बावजूद चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम में कोई टूट-फूट नहीं हुई है।
ऑर्बिटर द्वारा भेजे गए चित्र के अनुसार यह एक ही टुकड़े के रूप में दिखाई दे रहा है। इसरो की टीम चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिशों में लगी हुई है। इसरो वैज्ञानिकों का कहना है कि लैंडर विक्रम एक तरफ झुका दिखाई दे रहा है, ऐसे में कम्युनिकेशन लिंक वापस जोड़ने के लिए यह बेहद जरूरी है कि लैंडर का ऐंटीना ऑर्बिटर या ग्राउंड स्टेशन की दिशा में हो। हमने इससे पहले जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में गुम हो चुके स्पेस क्रॉफ्ट का पता लगाया है लेकिन यह उससे काफी अलग है। 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन में अभी बहुत कुछ बाकी है। बता दें कि इसरो ने रविवार को जानकारी दी कि ‘विक्रम’ की लोकेशन पता चल गई है। इसके साथ ही इसरो का काउंटडाउन शुरू हो गया। अब इसरो के पास लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन बचे हैं, वरना ‘मिशन चंद्र’ पूरा होने की उम्मीदें खत्म हो सकती हैं।
दरअसल, चांद पर अभी लूनर डे चल रहा है. एक लूनर डे धरती के 14 दिनों का होता है। इसमें से 2 दिन चले गए हैं मतलब यह है कि आने वाले 12 दिन चांद पर दिन रहेगा। उसके बाद चांद पर रात हो जाएगी। रात में विक्रम से संपर्क साधने में परेशानी होगी। बता दें कि विक्रम लैंडर अपने तय स्थान से करीब 500 मीटर दूर चांद की जमीन पर गिरा पड़ा है, लेकिन अगर उससे संपर्क स्थापित हो जाए तो वह वापस अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। इसरो के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में वह टेक्नोलॉजी है कि वह गिरने के बाद भी खुद को खड़ा कर सकता है, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि उसके कम्युनिकेशन सिस्टम से संपर्क हो जाए।